जानें, सत्संग जरूरी क्यों ?

{ सत्संग की आवश्यकता }

सत्संग :-

जीवन सदैव परिवर्तनशील है जीवन सुखद परिस्थितियों में सुख के भाव से बंध कर सुख को स्थायी करने के प्रयास से संघर्ष करता रहता है । जब वो सफल नहीं हो पता तो उदासी अकेलेपन, दुख और भय से घिर जाता है ऐसे अंधकारमय जीवन रुपी कमरे में सत्संग किसी झिर्री (सुराग, छेद) से आती हुई धुप के समान है जो अंधेरे कमरे में प्रकाश बिखेर कर अँधेरा दूर करती रहती है । अतः जीवन रुपी कमरे में सत्संग रुपी धूप आने के लिए कम से कम एक झिर्री सदा खुली रहे इतना सदा ध्यान रखना चाहिए । अर्थात सत्संग के अलावा किसी और मार्ग से तुम सुखी नहीं हो सकते इसे इस जन्म में समझो या १० जन्म बाद मर्जी तुम्हारी ।

सत्संग क्यों जरूरी है?

सत्संग का शाब्दिक अर्थ है “सत” (सत्य, ईश्वर, ज्ञान) का “संग” (साथ, संपर्क)। यह केवल साधु-संतों के साथ बैठना ही नहीं, बल्कि अच्छे विचारों, ग्रंथों और सकारात्मक संगति में समय बिताना भी है। सत्संग से मन और आत्मा को शुद्धता मिलती है, जिससे जीवन की दिशा सही होती है और ईश्वर-भक्ति में रुचि बढ़ती है।

सत्संग की महिमा

शास्त्रों और संतों ने सत्संग को मोक्ष प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण साधन बताया है।

  • श्रीमद्भागवत में कहा गया है:
    सत्संगति कथय किं न कुर्यादभद्रं – “सत्संग का प्रभाव इतना महान होता है कि वह जीवन के समस्त पापों को नष्ट कर देता है।”
  • तुलसीदासजी ने भी कहा है:
    बिनु सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥
    अर्थात सत्संग के बिना विवेक (सद्बुद्धि) संभव नहीं, और ईश्वर की कृपा के बिना सत्संग नहीं मिलता।

सत्संग के प्रमुख लाभ

जिस घर में एक परमात्मा प्राप्त व्यक्ति अर्थात संत पैदा हो जाता है उसकी २१ पीढ़ियां तर जाती है ये भगवान श्री कृष्ण का वचन है ।

तरने से मतलब २१ पीढ़ियों के पाप छमा हो जाते है और उनको भी परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है । और स्थाई सुख मिलता है । सत्संग दान का ये अर्थ नहीं कि बिना साक्षात्कार के आप प्रवचन देना शुरू कर दें जो ऐसा करते है वो गलती करते है । आप किसी संत से जुड़ कर अपनी सेवाएं दें यही आप के द्वारा सत्संग दान कहा जायेगा । मेरी समझ से इससे बड़ी कोई सेवा नहीं भंडारा कम्बल बांटना अदि इसके छोटे अंश है । अपना भाग्य बनाने के लिए सत्संग दान में सहभागी बने । इस प्रकार सत्संग के अनंत फायदे है ।

1. मानसिक और आत्मिक शांति

सत्संग से मन को शांति मिलती है। यह हमें सांसारिक चिंता, तनाव और अवसाद से दूर रखता है।

2. जीवन में सच्चे उद्देश्य का बोध

सत्संग हमें यह सिखाता है कि इस जीवन का उद्देश्य केवल धन, प्रसिद्धि या सांसारिक सुख-सुविधाएँ प्राप्त करना नहीं, बल्कि आत्मा का कल्याण और परमात्मा से जुड़ना है।

3. बुरी संगति और बुरे विचारों से मुक्ति

“जैसी संगति वैसी रंगति” – जिसका संग करेंगे, वैसा ही हमारा स्वभाव बन जाएगा। सत्संग हमें बुरी संगति, दुर्व्यसनों और नकारात्मक विचारों से बचाने में मदद करता है।

4. सद्गुणों का विकास

सत्संग में हम प्रेम, करुणा, सहनशीलता, सत्य, और अहिंसा जैसे गुणों को सीखते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाते हैं।

5. आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि

जब हम संतों या ज्ञानी व्यक्तियों की बातें सुनते हैं, तो हमें आत्मबल मिलता है और जीवन की कठिनाइयों से जूझने की शक्ति प्राप्त होती है।

6. भक्ति और ईश्वर के प्रति आस्था बढ़ती है

सत्संग में भजन-कीर्तन, कथा-प्रवचन और भगवद्गीता, रामायण, उपनिषद जैसे ग्रंथों का अध्ययन किया जाता है, जिससे भक्ति और ईश्वर के प्रति प्रेम बढ़ता है।

7. कर्म सुधार और पुण्य अर्जन

सत्संग से हमें अच्छे और बुरे कर्मों का ज्ञान होता है, जिससे हम सत्कर्मों को अपनाकर पुण्य अर्जित कर सकते हैं।

8. मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग

सत्संग से हमें जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होने और मोक्ष प्राप्त करने की दिशा मिलती है।

कैसे करें सत्संग का लाभ प्राप्त?

  1. संत-महात्माओं के प्रवचनों में भाग लें।
  2. श्रीमद्भागवत, भगवद्गीता, रामायण, गुरु ग्रंथ साहिब, उपनिषद जैसे पवित्र ग्रंथों का अध्ययन करें।
  3. भजन-कीर्तन और आध्यात्मिक संगीत सुनें।
  4. अच्छे और धार्मिक प्रवृत्ति वाले लोगों के साथ संगति करें।
  5. नकारात्मकता से बचें और जीवन में सकारात्मकता अपनाएँ।

सत्संग सबसे बड़ा दान :-

आप स्कूल खोल दो, अस्पताल खोल दो, कम्बल बाँट दो, भंडारा करते रहो ये अच्छी सेवाएं एवं पुण्य कार्य है किन्तु इन तरीको से लोगो के न तो कर्म सुधारते है, न उन्हें परमात्मा का अनुभव होता है उनका छोटा मोटा फायदा तो जरूर होता है किन्तु वे अपने जीवन के परम अर्थ को नहीं जान पते अतः न उनका ये लोक सुधरता है न परलोक (हो सकता है कई चार पैसे कमा कर अहंकारी हो जाए) सिर्फ सत्संग द्वारा इंसान में सच्चे संस्कार पैदा होते है ।

ये भी पढ़ें…मनुष्य कलियुग में मोक्ष की प्राप्ति कैसे कर सकता है

अतः किसी परमात्मा के साक्षात्कारी पुरुष द्वारा किये जा रहे सत्संग दान में अपना श्रम, धन, सेवा एवं उसकी आज्ञा पालन कर अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए इससे ज्यादा बड़ी मानवता की सेवा आप नहीं कर सकते इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं क्योंकि सत्संग द्वारा जो ज्ञान मिलता है उससे व्यक्ति इस लोक में भौतिक सम्पन्नता भी प्राप्त कर सकता है निरोगी भी हो सकता है परमात्मा प्राप्ति भी कर सकता है जिससे वो स्वयं अनेको लोगो (प्राणियों) का भला कर सकता है ।

सत्संग जीवन का अमृत है, जो हमें आत्मिक शांति, सद्बुद्धि और मोक्ष की ओर ले जाता है। यह मनुष्य को अज्ञान, मोह और पापों से मुक्त करता है और ईश्वर-प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। सत्संग का महत्व समझते हुए हमें इसका नियमित रूप से पालन करना चाहिए, ताकि हमारा जीवन सुखमय, शांतिपूर्ण और सार्थक बन सके।

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